रात के बारह बजाने को थे. माधवी आई नहीं. गंगाधर और कैलाश चले गये सोने के लिए मुझे तीसरे मज़ले पर कमरा दिया था, जो मकान के पिछले भाग में था. बाथरूम में जा का पहले मैने मुठ मार कर लंड का प्रेशर कम किया, फिर रूम में आ कर सो गया.

मेरे कमरे के पीछे गच्छी थी. मुझे नींद आने लगी थी की मैने कुछ आवाज़ गच्छी से आती सुनी. मैं सोचने लगा कौन हो सकता है गच्छी में इतनी रात ? उठ कर मैं बाहर निकला. गच्छी में कोई था नहीं.

अब हुआ क्या था की आवाज़ बगल वाले मकान से आ रही थी. ये मकान दो मज़ले का था उस का छाता हमारी गच्छी के लेवेल में था. मैने देखा की छाते के थोड़े से टाइल्स जो पुराने ढंग के थे वो हट गये थे. वहाँ से रोशनी आ रही थी और आवाज़ भी. मैं दबे पाँव जाकर देखने लगा.

बगल वाले मकान का बड़ा कमरा दिखाई दिया. तीन औरतें और दो आदमी सोने की तैयारियाँ कर रहे थे. उन को छोड़ मैं अपनी चारपाई में लेट कर सो गया.
दूसरे दिन पता चला की बाजू वाले मकान में जो फेमिली रहता था उस के मंज़ले लड़के की शादी थी. उसी दिन दोपहर को बारात चली, दूसरे गाँव गयी और तीसरे दिन दुल्हन लिए वापस आई. मुझे अकेला पा कर माधवी ने कहा : भैया, आज रात खेल पड़ेगा. देखना है ?
मैं : कौन सा खेल ?
हसती हुई माधवी बोली : अब अनजाने मत बनी ये. आप को पता तो है की गच्छी से बगलवाले मकान का कमरा देखा जा सकता है
मैं : उस का क्या ?
माधवी : उस का ये की आज रात वहाँ सुहाग रात मनाई जाएगी. मांझाला लड़का जो कल शादी कर के आया है वो उस कमरे में अपनी दुल्हन को ....... को ........ वो करेगा.

माधवी शर्म से लाल लाल हो गयी
मैं : तुझे कैसे पता ?
माधवी : वो कमरे में सब से बड़ा भैया अपनी बहू के साथ सोता है वो उनका बेडरूम है कई बार मैने और परेश ने देखा है उनको वो करते हुए.
थोड़ा सोच कर मैने कहा : मुझे दुसरी जगह देना सोने के लिए और तू जा कर उन की चुदाइ देखना.
माधवी : नहीं भैया, अकेले देखने में क्या मझा ? आप को इतराज़ ना हो तो हम साथ में देखेंगे ?
मैं : माधवी, ऐसा करना ख़तरे से ख़ाली नहीं है मौसी को पता चल गया तो क्या होगा ?
माधवी : उस की फिकर मत कीजिए. मम्मी रात के नौ बजे सो जाती है जोड़ों में दर्द के कारण कभी सीढ़ी चढ़ती नहीं है और सुहाग रात दस बारह बजे से पहले शुरू होने वाली नहीं है मैं भी सो जा उंगी, लेकिन बारह बजे उठ जा उंगी.
मैं : वो तो सही लेकिन उन को देख तुझे दिल हो गया तो क्या करोगी ?
मेरे गले में बाहें डाल आँखों में आँखें डाल वो बोली : आप वहीं होंगे ना ? या ....... कैलाश भाभी मुझ से ज़्यादा अच्छी लगती है ?

अब बात ये थी की माधवी वैसे तो एक सामान्य लड़की थी. मैं भी इतना ख़ूबसूरत नहीं हूँ वैसे भी लड़कियाँ मुझ पर दुसरी नज़र डालती नहीं है मौक़ा मिला था चुदाइ का. क्यूं ना मैं लाभ उठा लूं ? बहन या ना बहन, वो ख़ुद आ कर चुदवाना मांगती हो तो मना करने वाला मैं कौन भला ?

चुदाइ की सोचते ही मेरा लंड तन ने लगा. माधवी की कमर पकड़ कर मैने उसे खींच लिया. वो मुझ से लिपट गयी उस की चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी और मेरा लंड हमारे पेट बीच फ़स गया. उस का कोमल बदन बाहों में लेना मुझे बहुत मीठा लगा. लड़की इतनी मीठि हो सकती है वो मैने पहली बार जाना. ख़ैर, उस रात मैं कई चिझें पहली बार जानने वाला था. मेरे होटों पर हलका सा चुंबन कर के मेरी बाहों से छूट कर वो भाग गयी मैं सोचता रह गया की इतनी थोड़ी सी छेड़ छाड़ इतनी मीठि लगी तो पूरी चुदाइ कितनी मझेदार होगी. बाथरूम में जा कर मुझे मुठ मारनी पड़ी.

बड़ी इंतेजारी से मैं रात की राह देखने लगा. इतना इंतेज़ार तो वो दूल्हा दुल्हन भी नहीं करते होंगे. वैसे भी मेरी भी ये पहली चुदाइ होने वाली थी ना ? माधवी मुझे चोदने दे तब ? सारा दिन मेरी बेचैनी देख माधवी मुस्कुराती रही. एक दो बार उस ने अपनी चुचिया दिखा दी. मेरा लंड बेचारा खड़ा हुआ सो गया,, खदा हुआ, सो गया, लार टपकाता रहा.

आख़िर हम ने शाम का खाना खा लिया. सब सो ने चले गये मेरी आँखों में नींद कहाँ ? दो तीन बार जा कर देख आया की उस बेडरूम में क्या हो रहा है दस बजे माधवी आई.